समाजवादी समागम द्रारा राष्ट्रव्यापी अभियान हरभजन सिंह सिद्धू द्वारा आयोजित महासभा
समाजवादी समागम द्रारा राष्ट्रव्यापी अभियान भारतीय सविधान, सार्वजानिक क्षेत्र बचाने, सांप्रदायिक सदभाव की रक्षा हेतु समस्त समाजवादी एवं समान विचार वाले नागरिको से एकजुद होने का आवाहन”
साथियो,
भारत की स्वतंत्रता को 75 वर्ष पूर्ण हो गए
है, स्वतंत्रता प्राप्ति में श्रम जीवी वर्ग, किसान, युवा, एवं महिलाओ, समाज के हर वर्ग का
सराहनीय योगदान रहा है जिसके बल पर कभी भी सूर्यास्त न होने वाले साम्राज्य को
पराजित कर भारत एक स्वतंत्र,
सार्वभौमिक गणतंत्र बना जिसने
संसदीय प्रजातंत्र कोअपनाया ।
भारत की आम जनता की अपेक्षाओं के
अनुरूप भारत के सविधान का निर्माण किया गया जो विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है, इसके अंतग्रत
नागरिको के मौलिक अधिकार के साथ राज्य के नीतिनिर्देशक तत्वों का भी उल्लेख है
जो राष्ट्र की भावी दिशा प्रस्तुत करते है । कालांतर से समाजवादी नेताओ के निरन्तर प्रयास से “संविधान” की प्रस्तावना में “समाजवादी” एवं “धर्मनिरपेक्ष” शब्दों को भी
अंगीकृत किया गया ।
स्वतंत्रता संग्राम एवं आजादी
के बाद समाज के श्रम जीवी, कमजोर (वर्ग),
महिला व अन्य सवेंदनशील वर्ग के हित
सरक्षण हेतु राष्ट्रपिता महात्मा गांधी विनोबा भावे, आचार्य नरेंद्र देव, डॉक्टर राम मनोहर लोहिया, जय प्रकाश नारायण, युसूफ मेहर अली, डॉ. भीमराव
अम्बेडकर आदि का मह्त्वपूर्ण
योगदान रहा परन्तु विगत 75 वर्षो के दौरान
सरकार किसी भी राजनैतिक दलअथवा दलों के गठबंधन की रही हो, सामाजिक एवं आर्थिक
असमानता, अन्याय, धर्म, जाति, क्षेत्र के आधार पर भेदभाव, सम्प्रदायिकता आदि में गिरावट आने के
स्थान पर वृद्धि हुई है । श्रमिक,
किसान, युवा, महिलाओँ, अल्प्संख्यको, दलित, जनजातीय आदि के
हितो की पूर्णतया अनदेखी हुई है,
तथा बड़े उद्योगिक घरानो व बहुदेशीय
कम्पनियो को, विभिन प्रकार कीरियायते दी गई है । वैश्वीकरण, उदारीकरण, निजीकरण, के माध्यम से
पूंजीवाद व पूंजीवादी ताकतों को खुली छूट दी गई है ।
एक ओर कोरोना काल में लाखो मजदूरों की
सेवाए समाप्त हो जाने पर उन्हें परिवार सहित सड़को पर आने को विवश किया गया, दूसरी ओर इसी काल
में दो प्रमुख उद्योगपतियों की पूंजी 1,000 करोड़ प्रतिदिन की दर से बड़ी, देश में अरबपतियों
की संख्या 100 से बढ़ कर 140 हो गई । उद्योगपति अडानी विश्व के दूसरे सबसे अमीर उद्योगपति बन गए, दूसरी ओर आर्थिक
तंगी व कर्ज के बोझ से लाखो किसान आत्महत्या को बाध्य हुए । सरकार किसानो के छोटे कर्जे
माफ़ करने को तैयार नहीं पर अपने उद्योगपति मित्र जो आदतन कर्ज चुकाने से बचते है उनके लाखो करोड़ रुपए का कर्ज माफ़ किया जा रहा है। कुछ
उद्योगपति बैंको को चूना लगा कर,
सरकार को ठेंगादिखा कर विदेशो में
आराम से जीवन बिता रहे है ।
संगठित व असंगठित, कृषि श्रमिकों का
शोषण, बढ़ती महंगाई,
बेरोज़गारी, समाज के हर क्षेत्र
में गहरी जडे बना चुका भारी भ्रष्टाचार, आदि, देश की प्रमुख समस्याएँ है । भारत की
प्राचीन, समृद्ध, सयुंक्त गंगाजमुनी संस्कृति जो आपसी सदभाव, प्रेम, परस्पर सहयोग पर आधारित है, जिसने भारत को ऐसा गुलगस्ता बना दिया
जिसमे विभिन्न रंगो एवं सुगंधो के पुष्प एक साथ अपना जलवा प्रस्तुत करते है तथा
अनेकता में एकता को प्रमाणित करते है, इसको आज गंभीर खतरे के दौर से गुजरना
पड़ रहा है । वर्तमान सरकार नागरिको की जव्लंत समस्याओ का संतोषजनक जवाब देने की
स्थिति में नहीं क्योंकि वह हर मोर्चे पर विफल हुई है । सरकर देश की प्रमुख समस्याओ से जनता
का ध्यान हटा कर हिन्दू , मुस्लिम, अजान, नमाज, हलाल, हिजाब, 80-20, रामजन्मभूमि,
ज्ञानव्यापी, मथुरा, ताजमहल, कुतुबमीनार, आदि पर कटरपंथी, दक्षिण पंथी, समूह सत्तासीन लोगो
के आशीर्वाद, निर्देशन, प्रोत्साहन से आज समाज को बांटने का प्रयास का रहे है ।दूसरी ओर
सरकार श्रमजीवी वर्ग द्वारा अथक प्रयासों से अर्जित 29 केंद्रीय श्रम कानूनों को समाप्त
कर श्रमिक विरोधी, नियोजक समर्थक चार श्रम सहिताए श्रमिकों से बिना चर्चा कर वर्तमान
केंद्रीय श्रम कानूनों के श्रमिक हितकारी प्रावधानों को संशोधित, शिथिल अथवा समाप्त
कर नियोजकों को “इज ऑफ डूइंग बिज़नेस”, लचीलापन, अथवा तथा कथित
श्रमसुधार के नाम से “हायर एन्ड फायर”
में सहायक बन रही है । इसके अतिरिक्त
सरकार में पुरानी पेंशन व्यवस्था को समाप्त कर नई पेंशन योजना को मनमाने ढंग
से लागू कर दिया है, जिससे श्रमिकों में भारी आक्रोश है देश भर में नविन पेंशन योजना
समाप्त कर पूरानी पेंशन योजना को लागू करने हेतुप्रदर्शन व धरने आदि का आयोजन किया
जा रहा है ।कृषि क्षेत्र में किसानो की आमदनी दुगनी करने कावादा तो सरकारपूरा नहीं
कर सकी पर बिजली की दर बढ़ाकर,उवर्रक के दामों में वृद्धि, वजन में कमी, गन्ने का भुगतान
लम्बे समय तक रोक कर, तथा एम. एस. पी. पर खरीद सुनिश्चित न कर के, किसानो में गंभीर
रोष जरूर उत्पन कर दिया, इसके अतिरिक्त किसानो से परामर्श किये बगैर अर्थव्यवस्था के
प्रमुख क्षेत्र जो देश में 60 प्रतिशत नियोजन
उपलब्ध कराता है उस कृषि क्षेत्र में निजी क्षेत्र के प्रवेश हेतु तीन कृषि कानून
बना दिए गए जिनसे किसानो में आक्रोश विकसित हुआ । सयुंक्त किसान मोर्चे केनेतृत्व
में किसानो ने अत्यंत शांतिपूर्ण,
अनुशासित, धेर्ये रखते हुवे, एक वर्ष से अधिक समय तक
राष्ट्रव्यापी, अहिंसात्मक, आंदोलन किया जिसमे 750 से अधिक किसानो ने अपने
प्राणो की आहुति दी । अंतत: सरकार को तीनो कृषि कानूनो को वापिस लेना पड़ा । किसानो के आंदोलन को समाज के
हर वर्ग से सहयोग प्राप्त हुआ ।केंद्रीय श्रम संगठनों के सयुक्त मोर्चे ने किसान
आंदोलन को समर्थन दे कर “किसान मजदूर एकता”
का सूत्रपात किया ।भारत सरकार बड़े
उद्योगिक घरानो एवं बहुराष्ट्रीय कम्पनियो के भारी दबाव में है और निरंतर
जनविरोधी नीतियों का अनुसरण कर रही है,सार्वजानिक क्षेत्र का निजीकरण और
अंततः-निजी क्षेत्र को बेचने, कोयला, गोदी एवं बंदरगाह, रेल, बैंक, बीमा, दूरसंचार, सड़क परिवहन, हवाई सेवाए, हवाई अड्डे, विधुत उत्पादन,
प्रेषण, वितरण आदि में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश, “नेशनल मोनेटाइजेशन
पाइप लाइन परियोजना” के अंतगर्त राष्ट्रीय परिसम्पत्तियों को कौड़ी के भाव अपनी पसंद के निजी
क्षेत्र को बिक्री, आदि । कोयले
में 500 ब्लॉक चिन्हित किये गए है, रलेवे में 600 रेलवे स्टेशन निजी
क्षेत्र हेतु चिन्हित किये गए है,
अत्यंत व्यस्त तथा लाभ अर्जित करने
वाले 109 रेल मार्गो पर 150
रेल गाड़ियों का पूर्ण संचालन निजी
क्षेत्र को सौपना, रक्षा क्षेत्र में लम्बे समय सेकार्यरत 41 आयुध निर्माणीयों
जिन्मे 80,000 से अधिक कामगार कार्यरत है, को बंद करना , रेल, कोयला, गोदी एवं बंदरगाह, हवाई अड्डों, रक्षा प्रतिष्ठानों,के आस पास पड़े भारी
भूखंडो को व्यवसायिक उपयोग हेतु लम्बी अवधि के पट्टे पर निजी क्षेत्र को देना आदि
प्रमुख श्रमिक, किसान, युवा विरोधी निर्णय है । शिक्षा व्यवस्था में निजी क्षेत्र को
प्रोत्साहित करना ऐसानिर्णय है जिससे निजी क्षेत्र के शिक्षा संस्थानों भविष्य में भारी फ़ीस के चलते मजदूर, किसान, समाज के दुर्बल
वर्ग के बच्चे शिक्षा से वंचित रहे जाएंगे ।
देश अब तक के सबसे ख़राब दौर से गुजर रहा है । राजनीतिक लाभ के लिए समाज को धर्म, जाति, क्षेत्र में बांटने का प्रयास, परस्पर सहयोग, सदभाव, के स्थान पर एक दूसरे के प्रति नफरत, घृणा को प्रोत्साहित करना, नाम पूँछ कर अथवा कपड़ो से व्यक्तियों की पहचान करना, गौ वंश मांस रखने के शक पर किसी को पीट-पीट कर मार डालना, जांच के बाद बरामद मांस गौ वंश का नहीं निकलना । सम्पूर्ण राष्ट्र में आज धार्मिक उन्माद का वातावरण है, धार्मिक संसदो का आयोजन किया जा रहा है, अल्पसंख्यको के विरुद्ध शस्त्र उठाने का आवाहन हो रहा है , “सत्यमेव जयते को शस्त्रमेव जयते में बदलने की बात की जा रही है”। सर्वजनिक रूप से “राष्ट्रीय ध्वज अस्वीकार्य है हमें भगवा झंडा तथा हिन्दू राष्ट्र चाहिए”, ऐसे बयान जारी करना, महिलाओ के विरुद्ध जघन्य अपराधों की निरंतर वृद्धि, अधिकांश में राजनीतिक हस्ती से मजबूत लोगो की सलिप्तता होना, प्रजातांत्रिक मूल्यों, सविधान एवं सवैंधानिकसंस्थाओ मुल्ये की अवहेलना, उल्लंघन, सविधान विपरीत कार्य, सरकारी एजेंसी का दुरूपयोग आदि ने राष्ट्र में भय और आतंक का वातावरण बना दिया है । समाज का हर वर्ग आज असंतुष्ट, आक्रोशित, भयभीत, शंशकित तथा उपेक्षित महसूस कर रहा है।
ऐसी अत्यंत असाधारण परिस्तिथियों में देश के समाजवादी एवं समान विचारधारा वाले अन्य सभी काम काजी, महिला , युवा , किसानो को एक जुट होकर एक बार पुनः हठधर्मी, घमंडी , सत्ता के नशे में चूर राष्ट्र की बहुमूल्य परिसम्पत्तियों को बेचने में लगी , कामकजी वर्ग के अधिकारों पर भयंकर प्रहार करने वाली सरकार की नीतियों के विरुद्ध राष्ट्रव्यापी एकता बनाना व निर्णायक संघर्ष में उतरना समयकी पुकार है
समाजवादी समागम सहित सभी समाजवादी साथी इस प्रयास में लगे हुए है और आपके समर्थन, सहयोग का आग्रह करते है ।
हरभजन सिंह सिद्धू
(महामंत्री)
हिन्द मज़दूर सभा
हिंद मजदुर सभा के महामंत्री साथी हरभजन सिंह जी ने सही समय पे सभी समाजवादी साथियोंको एकजूट होकर संविधान के साथ प्रजातंत्र को बचाने का आवाहन किया है तो हम सब की जिम्मेदारी हैं की एकजूट होना चाहिए यह समय की मांग हैं!
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